एपिसोड 1

अनुक्रम:
और अन्ना सो रही थी - एपिसोड 1-6 
वह सपने बेचता था - एपिसोड 7-10 
प्रस्थान - एपिसोड 11-16 
बाकी बातें फिर कभी - एपिसोड 17-20 
सागर-संगीत - एपिसोड 21-24 

मुझे तो यह महिलाओं के साथ चाय पीने का एक बहाना और किसी नए शिकार की तलाश लग रही है। आप देख लेना बहुत जल्दी मिसेज कौल के दिन लदनेवाले है।

कहानी: और अन्ना सो रही थी

शो बिज़नेस

(1)
पहली बार हम कब मिले थे यह मुझे ठीक-ठीक याद नहीं। लेकिन दफ़्तर के नॉनएक़्जिक्यूटिव टॉयलेट में, जिसे हम हृाइट हाउस कहते थे, कभी अपनी जिप खोलते - बंद करते या फिर बेसिन के आगे हाथ धोते एक दूसरे को शीशे में देख हम अक्सर मुस्करा देते थे। साढ़े पांच बजे की छुट्टी के बाद सेक्यूरिटी गार्ड से सबसे पहले अपना बैग चेक करवानेवाले भी हम दोनों ही होते थे।

साढ़े पाँच बजते ही हमारा इस तरह दफ़्तर से निकल जाना कई लोगों के लिए कौतूहल का विषय था। गो कि प्रीप्रेस इंडिया लिमिटेड की इस एक्सपोर्ट यूनिट में ओवर टाइम एक आम बात थी लेकिन साढ़े पाँच के बाद हम दोनों में से किसी का रुकना दूसरों के लिए एक आश्चर्यजनक खबर होती थी।

प्रीप्रेस इंडिया की यह एक ऐसी ही असाधारण शाम थी। दो घंटे की ओवर टाइम के बाद देर शाम जानेवाली बस में हम दोनों साथ-साथ बैठे थे। 


'आठ बजे की बस में आप... काम ज्यादा आ गया क्या?' 
'अरे आप एम.आई.एस. (मैनेजमेंट इंफार्मेशन सर्विसेज) वाले जो न करवााएं। पहले तो हमारी प्रोडक्शन रिपोर्ट बनाते हैं और फिर हमसे देर तक रुकने का कारण पूछते हैं।'

प्रोडक्शन वालों की यह आम शिकायत थी। मैनेजमेंट रिपोर्टिंग को वे जासूसी से कम नहीं समझते थे। 
'अरे, रिपोर्ट बनाना तो हमारी ड्यूटी है, ठीक वैसे ही जैसे आपके लिए कॉपी एडीटिंग या प्रूफ रीडिंग। अब तनख्वाह लेते है तो काम करना पड़ेगा न? उससे आपके रुकने का क्या संबंध?' 


'आज सारे कॉपी एडीटर्स की मीटिंग हुई थी। तलवार कह रहा था कि प्रोडक्शन काफी कम हो गई है। इसके लिए उसने सबको हड़काया भी। उसने यह भी बताया कि यूरोप से दस हजार पांडुलिपियाँ और आ रही हैं। लगता है पूरे महीने रुकना पड़ेगा।' 

'नई पांडुलिपियों वाली बात तो ठीक है लेकिन कम प्रोडक्शन के नाम पर हड़काना तो तलवार की रणनीति का एक हिस्सा है। पता नहीं उसे एप्रिसिएट करना क्यों नहीं आता।

मेरी तो पहली नौकरी है, आपने तो पहले भी कई नौकरियां की हैं। क्या हर जगह बॉस ऐसे ही होते हैं?' 
'मैंने तो ऐसा ही पाया है। शायद ही कोई बॉस अपने सबॉर्डिनेट की तारीफ करता हो... लेकिन आप आज कैसे रुक गए?'

 
'दरअसल मिसेज कौल के जिम्मे एक नया प्रोजेक्ट आया है। मि. तलवार की खास होने के कारण वह प्रोजेक्ट लीडर तो बन गई हैं लेकिन उसे कुछ आता-जाता तो है नहीं। सिर्फ अँग्रेजी में गिटिर-पिटिर कर लेने भर से तो रिपोर्टिंग आती नहीं। मि. तलवार ने कहा है कि एक महीना उसके प्रोजेक्ट की रिपोर्टिंग भी मैं ही देख दूँ। अब बॉस ने कहा है तो रुकना ही पड़ेगा।' 
दफ़्तर की बारीक राजनीति और बॉस की रंगीन मिजाजी की चर्चा के बहाने शुरू हुई हमारी जान-पहचान, न जाने कब और कैसे अंतरंगता में बदल गई।

दस घंटे की थका देनेवाली ड्यूटी के बाद सवा घंटे की हमारी बस यात्रा कैसे कट जाती हमें पता ही नहीं चलता। इसी क्रम में हमने यह जाना कि हमारी रुचियाँ, हमारी सोच और हमारे सपने काफी मिलते थे।

दफ़्तर में मैनेजर तो मिनरल वाटर पीते हैं लेकिन हमें सप्लाईवाला घटिया नमकीन पानी क्यों मिलता है या फिर हमारे टेलीफोन कॉल्स हमें क्यों नहीं बताए जाते और कंपनी के बड़े अधिकारियों को तो चाय मुफ्त में मिलती है लेकिन उसके लिए हमारे पैसे क्यों कटते हैं, जैसी छोटी-बड़ी जिज्ञासाएँ और उनके प्रति एक स्वाभाविक आक्रोश हम दोनों के मन में समान रूप से कुलबुलाते थे।

ऐसे ही किसी दिन घर लौटते वक्त उसने बताया था कि उसकी एक बिटिया भी है... करीब तीन साल की और उसकी पत्नी जूनियर इंजीनियर है भारत विद्युत बोर्ड में। 
'उसकी ड्यूटी शिफ्टों में होती है। कभी-कभी तो पूरे महीने नाइट शिफ्ट होती है... अब मैं शाम को समय से नहीं पहुँचूँ तो भला अन्ना को कौन देखेगा...?' 
'और फिर आदमी को अपने लिए भी तो थोड़ा वक्त चाहिए। वर्ना कंपनी वालों की चले तो वे हमें भी कंप्यूटर ही बना डालें...।' 


'अरे हाँ, मैं तो भूल ही गया था, वो पिंक सिटी का क्या ममला है? आज सारी महिलाएँ कांफ्रेंस रूम में क्यों इकट्ठी थीं?' ह्वाइट हाउस की तर्ज पर लेडिज टॉयलेट हमारे बीच पिंक सिटी के नाम से जाना जाता था। 
'टॉयलेट का री-कंस्ट्रक्सन हो रहा है इसलिए महिलाओं की खास जरूरत आदि को जानने के लिए मि. तलवार ने उनकी मीटिंग बुलाई थी।' 
'यदि बात इतनी सी है तो यह काम पर्सनल वाली मोनिका भी कर सकती थी। इसमें मि. तलवार की क्या जरूरत? मुझे तो यह महिलाओं के साथ चाय पीने का एक बहाना और किसी नए शिकार की तलाश लग रही है। आप देख लेना बहुत जल्दी मिसेज कौल के दिन लदनेवाले है।' 
मुझे पता नहीं था कि पीटर की यह बात इतनी जल्दी सच साबित हो जाएगी। अगले ही दिन मंथली प्रोडक्शन मीटिंग में मि. तलवार ने मिसेज कौल की जम कर खिंचाई की। 


'मिसेज कौल, अब पानी सर से ऊपर बह रहा है। आपके रहते प्रूफ की इतनी अशुद्धियाँ जा रही हैं। आपको कस्टमर्स के फीड बैक का भी ख्याल नहीं। ईदर यू कंट्रोल योर गाइज ऑर कम आउट ऑफ द डिपार्टमेंट।' 
'सर, आई विल डू, माई बेस्ट। आगे से मैं खुद ही फाइनल फाइल देखूँगी।' मि. कौल पेंसिल से दोनों स्तनों के बीच खुजला रही थीं। 
और अगले ही महीने अधेड़ मिसेज कौल की जगह दफ्तर में नई-नई आई यंग अलका को की-बोर्ड पब्लिशर्स का प्रोजेक्ट लीडर बना दिया गया।

अलका मिसेज कौल की तरह नहीं थी। न किसी से बोलना-चालना न कुछ। लंच भी अकेली ही करती थी वह। और बोल्ड इतनी की पूछो मत। मुझे मोनिका ने बताया था कि उस दिन पिंक सिटीवाली मीटिंग में जब सब चुपचाप बिस्किट कुतर रही थीं उसने ही बेधड़क कहा था - 'सर, हमारे टॉयलेट मे सेनेटरी नैपकिन जरूर होने चाहिए... 'ह्विस्पर' या 'केयर फ्री' कोई भी कई बार हमें असुविधा होती है।' 
इसके विपरीत मिसेज कौल तलवार की चहेती होते हुए भी सबसे बात करती थी। उस दिन वह पिंक सिटी से निकलकर सीधे पीटर की डेस्क तक आ गई थी। 


'मैडम इस सूट में तो आप बहुत अच्छी दिख रही हैं।' 
'सो नाइस ऑफ यू... लेकिन तुम्हें तो ठीक से तारीफ करना भी नहीं आता। मैं इस सूट में अच्छी नहीं लग रही यह सूट मुझ पर अच्छा लग रहा है।' दोनों खुलकर हँस पड़े, कि तभी मि. तलवार वहाँ आ गए थे। तलवार ने कुछ कहा तो नहीं लेकिन उनके चेहरे से साफ जाहिर था कि मिसेज कौल का यूँ हँसना उन्हें कहीं गहरे खटका था। शायद यही कारण रहा हो कि उसकी जगह मि. तलवार ने अलका को प्रोजेक्ट लीडरी पकड़ा दी थी। 


'आज हम लंच बाहर करेंगे। कुछ जरूरी बातें करनी है।' मैं पीटर की टेबल पर डेली प्रोडक्शन रजिस्टर लेने गया था। 
हमने अपना-अपना लंच बॉक्स लिया और बाहर निकल गए। एक्सपोर्ट डेवलपमेंट ऑथारिटी - इ.डी.ए. के लॉन में हमारे सिवा कोई और नहीं था। 
'हाँ तो पीटर, ऐसी क्या जरूरत आ गई कि आपने मुझे बाहर बुलाया?' लंच बॉक्स खोलते हुए मैं उससे मुखातिब हुआ। 
'आज बरुआ ने मुझे बुलाया था और एक लेटर दिया।' बरुआ कंपनी का पर्सनल मैनेजर है। 
'तो क्या आपको भी इंक्रीमेंट लेटर मिल गया?' 
'इंक्रीमेंट नहीं वार्निंग।' 


'क्या बात करते हैं आप भी, आप जैसे कॉपी एडीटर को भला वार्निंग कौन दे सकता है...?' 
'जब बरुआ ने मुझे बुलाया तो मुझे भी लगा था कि अबकी अच्छा इंक्रीमेंट मिलेगा। लेकिन उसने तो सारा खेल ही पलट दिया।' 
'मि. पीटर जैसा कि आपको पता है कि यह एनुअल एसेसमेंट का महीना है। मैं जानता हूँ कि आप एक काबिल कॉपी एडीटर हैं, लेकिन प्रमोशन और इंक्रीमेंट के लिए इतना काफी नहीं है। मैनजमेंट हैज सम सीरियस ऑब्जर्बेशन्स अगेन्सट यू।' 
'लेकिन सर पूरे साल मैंने अच्छा काम किया है।' 


'आपके सुपरवाइजर हरप्रीत की रिपोर्ट है कि आप कभी साढ़े पाँच बजे के बाद रुकना ही नहीं चाहते।' 
'सर मेरी नजर में काम के घंटे से ज्यादा काम की मात्रा और गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। दूसरे कॉपी एडीटर्स दस ग्यारह घंटे में जितना काम करते हैं उससे ज्यादा काम तो मैं आठ घंटे में कर जाता हूँ, फिर भला देर तक रुकने की क्या जरूरत? मैं काम करता दिखने की बजाय काम करने में विश्वास रखता हूँ।' 

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