एपिसोड 1
तुमने वादा करने के बाद से उसे निभाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। वैसे इस समाज में, इन परिस्थितियों में, तुम्हारा उन तीन दिनों के बाद अपने घर लौट पाना वाकई असंभव है जहां तुम्हारे बच्चे हैं, पति है, सास-ससुर हैं और बहुत से रिश्तेदार हैं।
प्यार का सरप्लस
सखा,
कितना आत्मीय है न यह सम्बोधन!
सारे औपचारिक संबंधों से परे इसका एक देहाती, अनगढ़, खुरदुरा इतिहास है। मैंने हमेशा चाहा कि कोई इतना अपना हो, जिसे अपने मन की बातें वैसे ही कह ली जाएं, जैसे ख़ुद से की जाती हैं। अच्छा है कि तुम मिले हो। ज़रूरी-सा हो गया है कि तुमसे वे सारी बातें कह दूं, जो मन में उस दिन से घुमड़ रही हैं, जिस दिन हमारी मुलाक़ात हुई थी। लगा तुम बरसों के परिचित हो तुम्हारा वह स्पर्श कितना सम्मोहक, अपनत्व से भीना और सुखद था। ऐसा लग रहा था कि जैसे ही तुमने मेरी बांह छोड़ी और मैं एकदम असहाय और अनाथ हो जाऊँगी।
कई-कई बार साहस जुटाया कि बता दूं कि जब तुम कहते हो कि तुम्हारे आस-पास बेहद सन्नाटा है, तुम अकेले हो या फिर मैं वहां चली जाऊं तो एक बेचैन सी छटपटाहट होती है कि काश ऐसा होता, मैं तुम्हारे साथ होती लेकिन अगले ही क्षण कोई मेरे भीतर बैठा धिक्कारने लगता है कि मैं किसी की पत्नी हूं और मेरा ऐसा चाहना भी कितना बड़ा अपराध है! जब मैं देखती हूं कि घर चलाने और गृहस्थी के सरंजाम जुटाने में 'वे' दिन-रात परेशान रहते हैं।
सबकी छोटी-बड़ी ख़ुशियों के लिए उनकी ज़िंदगी का बड़ा हिस्सा बड़ी तेज़ी से चुकता जा रहा है, तो सोचती हूं कि क्या उनका यह चाहना कि उनकी पत्नी समर्पित रहे ग़लत है? मेरे आस-पास सभी इसी तरह तो अपने दाम्पत्य का निर्वाह कर रहे हैं। मैं ख़ुद से बार-बार यह पूछती हूं कि मेरे अंदर यह बेचैन आत्मा किसकी है? एक स्त्री की होती तो समृद्धि और भौतिक सुखों में सुखी क्यों नहीं रहती?
मेरे बहुत सारे प्रश्नों का जवाब मेरे पास नहीं है। इसलिए मैंने इन सवालों से अपना ध्यान भी हटा लिया था, लेकिन जब उस दिन तुमने कहा कि तुम्हें मेरा प्रेम ही लौटा पाएगा या कि उन तीन दिनों के कारण तुम फिर से अपने प्रति आस्थावान और विश्वासी हो जाओगे, तो मुझे लगा ओह! क्या इतने गंभीर संबंध भी बनाए जा सकते हैं और किसी के लिए इस तरह भी कुछ कहा जा सकता है?
सखा! तुम नहीं जानते, तुम्हें उन तीन दिनों की सहमति के लिए मैंने कितना मानसिक संघर्ष किया है, लेकिन उसका कोई परिणाम नहीं निकला, तब मन का कहा किया "हाँ "...... यह हाँ है और रहेगी भी। मैंने अब इस पर ध्यान देना बिल्कुल छोड़ दिया, क्योंकि अब मुझे यक़ीन है कि तुम मेरा ख़याल रखोगे। तुम हो तो सच है, विश्वास है लेकिन यह भी तय है कि उन तीन दिनों के बाद मेरी वापसी संभव भी नहीं क्योंकि, एक बेटी, बहू, पत्नी, माँ, बहन वापस आकर इन संबंधों में अपने उस विचलन से उपजी घृणा, क्रोध, तिरस्कार का सामना कैसे कर पाएगी! ख़ासकर एक माँ, जिससे उसके बच्चे नफ़रत करने लगेंगे।
नहीं पता तुम्हारी क्या प्रतिक्रिया होगी, पर यह सब कहना ज़रूरी था।
तुम्हारी ही
***
सखी,
पता नहीं, लेकिन यह प्राणप्यारी, डियर और डार्लिंग तीनों से लाख दर्ज़ा बेहतर लगता है!
'कितना प्यारा वादा है उन मतवाली आंखों का, इस मस्ती में सूझे ना क्या कर डालूं हाय! …मुझे संभाल।'
माफ़ करना, मैं कुछ भी शुरू करूं उससे पहले हवा में उड़ता संगीत का एक भटका टुकड़ा चला ही आता है। मेरी मां ने कभी बताया था कि मैं एक नर्सिंग होम में जिस वक़्त पैदा हुआ था, उसके बाहर एक बहुत लंबी बारात गुज़र रही थी। बारात में कई तरह के बैंड शामिल थे। कितना प्यारा वादा है सखी कि मैं 16 मई 2022, सोमवार को सुबह सवा नौ बजे तुम्हें एक उपन्यास दूंगा और तुम उसके बाद से तीन दिन, तीन रात मेरे साथ रहोगी। उस दिन बुद्ध पूर्णिमा है।
मैंने सोचा है कि हम अंडमान निकोबार चलेंगे। हम दोनों कालापानी के किसी बिल्कुल निर्जन किनारे पर स्वर्ग से निकाले जाने की ख़ुशी को सेलिब्रेट करते आदम और हव्वा की तरह जैसे चाहे वैसे रहेंगे। हमारी पहली मुलाक़ात भी तो नदी के किनारे ही हुई थी। मुझे लगता है कि हमारे प्यार का पानी की तरलता, पारदर्शिता और जीवनदायी शक्ति से ज़रूर कोई नाता होगा।
तुम्हें बीतते हुए हर दिन का ख़याल है और तुमने वादा करने के बाद से उसे निभाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। वैसे इस समाज में, इन परिस्थितियों में, तुम्हारा उन तीन दिनों के बाद अपने घर लौट पाना वाक़ई असंभव है, जहां तुम्हारे बच्चे हैं, पति है, सास-ससुर हैं और बहुत से रिश्तेदार हैं। यह सैकड़ों साल पुराना ऊपर से आधुनिक, अंदर से सामंती परिवार है जहां मालिक-मालकिनों की सनक, रिवाजों, परंपराओं और लोकलाज के मनमाने नियमों के हिसाब से ज़िंदगी चलती है। वहां ख़ुद से और दूसरों से नफ़रत करते हुए, सुखी-सुहागिन होने का पाखंड करते हुए गाजे-बाजे के साथ मरा तो जा सकता है लेकिन किसी को प्यार करते हुए जी पाना असंभव है।
तुमने मुश्किल रास्ता चुना है, तुमने प्यार के लिए असंभव को साधने की कोशिश शुरू कर दी है।
आदमी ने इतने बरसों में पृथ्वी पर और किया क्या है? वह अंतर्प्रेरणा का पीछा करता हुआ, एक सुखद आभास की अटकलों के सहारे ख़ुद के और असंभव के बीच के धुंधलके में डरता, झिझकता फिर भी न रुकता यहां तक चला आया है। पृथ्वी पर आज जो उसका इक़बाल और रुतबा है, वह उसने कब चाहा था, वह तो अनजाने रास्तों पर उसके क़दमों के निशान की तरह अपने आप बनते गए। एक बार रुतबे का पता चल जाने पर उसके विस्तार और अमरत्व के लिए उसने जो किया और उसके जो नतीजे निकले, वह एक दूसरा ही क़िस्सा है… अगर वह कु़दरत की मुश्किलों के आगे अपनी सीमाओं को स्वीकार कर लेता तो निरा जानवर (जो उसका एक बड़ा हिस्सा अब भी है) ही रह गया होता।
प्यार के अनुभव को हासिल करने के लिए असंभव की ओर शुरू हुई यह यात्रा तुम्हारे और मेरे जीवन को आंधी की तरह उलट-पुलट देगी। शायद कुछ भी पुराना न बचे लेकिन हम मिल जाने के बाद, या नहीं मिल पाने की हालत में भी अलग-अलग, लेकिन हर हाल में लांछित, निंदिंत होने के बावजूद पहले की तुलना में कहीं सुखी और सक्षम होंगे।
इस बीच के समय में तुम्हें आत्मनिर्भर होना पड़ेगा और मुझे लिखना होगा। ये दोनों ही चीजे़ं जब घटित होती हैं, तो भीतर के आकाश में एक बड़ा उल्का पिंड टूटता है, जो हमें अपने साथ प्रकाश की गति से उड़ाते हुए वहां ले जाता है, जहां से पुराने जीवन में वापसी संभव नहीं है। आकाश को जानती हो न! ज़रूर जानती होगी, नहीं तो अपने प्यार को ख़ुद जीने की कोशिश करने की बजाय उसे उन अमरबेल सीरियलों में तलाशती, जिसके अधिकांश पात्र इसके अभाव में जीवित प्रेतों में बदल जाते हैं। अजीब बात है कि अभिशप्त होकर वे सभी एक ही तरह से ग़ुस्से में दांत पीसते हैं और एक-दूसरे को बर्बाद करने की बिसातें बिछाते हैं।
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कमेंट (54)
Kshatriya Reet
अद्भुत भाव विन्यास से भरी मीठी सी कहानी ❤️
0 likesThe S. M.
कभी कभी बहुत सारे सवालों के जवाव लाख ढूढ़ने पर भी नही मिलते,तो बेहतर होता हैं कि उन सवालों के जवाब ढूढ़ने बंद कर दिये जायें।
0 likesJoya Maan
this is very interesting line thanks for this 🤗🌚
2 likesPashupati Mishra
" बाबजूद पहले की तुलना में कहीं सुखी और सक्षम होंगें " कोई ज़रूरी तो नही ? देखना है आपकी कहानी क्या मोड़ लेती है। यह तो वक्त ही परिभाषित करेगा , कि " सखी और सखा " कितना सही है या गलत।
1 likesGEETESH SINGH
रोचक शुरुआत
1 likesPrem Kumar
शुरु कर दिया गया है और आपको पढ़ना तो वैसे ही लाजवाब है.
1 likesKarulal Hindi
, ।
1 likesSonam Sharma
👍🏻 बहुत अच्छा लगा पढ़कर
4 likesDINESH LAL
waaaaahhhhhh
0 likesDINESH LAL
good luck
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