एपिसोड 1
उज्ज्वल गौर बदन पर सफेद दाढ़ी मूँछ, सब शरीर भरा हुआ कांतरूप देखकर चिराग अली में सबकी भक्ति हो सकती है। इस बूढ़ेपन में भी देखने से जान पड़ता है कि चिराग अली चढ़ती जवानी में एक सुंदर रूपवान रहा होगा।...
गुप्तकथा/ गोपाल राम गहमरी
एपिसोड- 1
जासूसी जान पहचान भी एक निराले ही ढंग की होती है। हैदर चिराग अली नाम के एक धनी मुसलमान सौदागर का बेटा था। उससे जासूस की गहरी मिताई थी। उमर में जासूस से हैदर चार पाँच बरस कम ही होगा, लेकिन शरीर से दोनों एक ही उमर के दीखते थे। मुसलमान होने पर भी हैदर जैसे और मुसलमान हिंदुओं से छिटके फिरते हैं, वैसे नहीं रहता था। काम पड़ने पर हैदर जासूस के साथ अठवाड़ों दिन रात रह जाता और जासूस भी कभी-कभी हैदर के घर जाकर उसके बाप चिराग से मिलता, उसके पास बैठकर बात करता था। चिराग अली भी इस ढंग से रहता था कि उसको जासूस अपने बड़ों की तरह मानता जानता था।
उन दिनों चिराग अली सत्तर से टप गया था। उज्ज्वल गौर बदन पर सफेद दाढ़ी मूँछ, सब शरीर भरा हुआ कांतरूप देखकर चिराग अली में सबकी भक्ति हो सकती है। इस बूढ़ेपन में भी देखने से जान पड़ता है कि चिराग अली चढ़ती जवानी में एक सुंदर रूपवान रहा होगा।
चिराग अली को कभी किसी ने किसी से टूट कर बोलते भी नहीं देखा। कोई उसका कुछ अपमान भी करे तो चिराग उसको सह लेता और उससे हँसकर बोलता था। कोई भीख माँगने वाला चिराग के द्वार से खाली हाथ नहीं गया।
सुनते हैं चिराग अली ने पहले बोट का काम शुरू किया और उसी काम से वह होते-होते एक मशहूर धनी हो गया। अपने बाहुबल से चिराग ने धन कमाकर राजमहल सा निवास भवन बनवाया और बहुत सा रुपया खजाने में जमा किया।
चिराग अली के महल में सदा आदमियों की भीड़ रहती थी। अपने परिवार में तो चिराग को अपनी बीवी, बेटे, बेटे की बीवी और कुछ छोटे-छोटे बच्चों के सिवाय और कोई नहीं थे किंतु धन होने पर जगत में मीत भी खूब बढ़ जाते हैं, इसी कारण चिराग के घर में खचाखच आदमी भर गए थे। उनमें बाप बेटे के नौकर चाकर स्त्रियों की दासी और बहुत से ऐसे नर नारी का समागम था जो धनहीन होने के कारण चिराग अली के साये में आ गए थे। चिराग अली अपने घर ही आए हुए गरीबों को नहीं पालते थे बल्कि बाहर भी बनेक दुखी दरिद्र लोगों का पेट भरते थे। इन सब बातों को कहने के बदले इतना ही ठीक होगा कि चिराग अली जैसे गंभीर मिलनसार और सबसे मीठे बोलने वाले थे वैसे ही दानी भी खूब थे। दया से उनका हृदय भरा पूरा था।
हैदर बाप के समान मीठा बोलने वाला और दानी नहीं था तो भी बुरे स्वभाव का आदमी नहीं था। हैदर का चाल चलन और दीन दुखियों पर उसकी समता देखने वाले मन में कहते थे कि वह भी बाप की तरह एक दयालु और दीनबंधु हो जाएगा।
बाप बेटे के चाल चलन के बारे में जो कुछ यहाँ हमने कहा है, उससे अब और कहने का काम नहीं है। हम इतना ही कहकर उनके गुणवर्णन का अध्याय पूरा करते हैं कि चिराग अली मानों अपने नगर का चिराग ही था। और सब लोगों में उसकी जैसी मान महिमा थी अपनी बिरादरी में भी वैसी ही बड़ाई थी। जहाँ कहीं जातीय सभा समाज भरती, वहीं चिराग अली को सभापति संपादक होना पड़ता। जहाँ कहीं किसी तरह का पंचायती मामला आता वहाँ चिराग अली के राय बिना उसका निबटारा नहीं होता था। मतलब यह कि हर तरह के काम में चिराग अली ही अगुआ था।
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कमेंट (13)
- PREM SINGH
मानवता से ओतप्रोत है
0 likes - Arkaan Sayed
Wow loved it very much !!
0 likes - Prem Kumar
बहुत सुंदर
0 likes - Shubham Singh
nice b b b b b
0 likes - khan saulat hanif
nice story
0 likes - Pakhi Jain
चिराग अली के स्वभाव.का जिस तरह खाका खीचा गया है और फिर सारी बात को दो पंक्तियों में समेटना ....लेखक की लेखन क्षमता और बाँधे.रखने की कला दर्शाती है।
1 likes - Yashpal Vedji
बहुत ही सुन्दर
1 likes - Bhupender Chauhan
fffff
1 likes - Chenshing Meena
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0 likes - kamlesh kumar Joshi
सुंदर
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