एपिसोड 1
उसने नागर का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और एक झटका ऐसा दिया कि वह घोड़े के नीचे आ रही। वह आदमी तुरन्त उसकी छाती पर सवार हो गया और उसके दोनों हाथ कब्जे में कर लिए।
बयान – 1
दहलाने वाली आवाज़ें
नागर थोड़ी दूर पश्चिम जाकर घूमी और फिर उस सड़क पर चलने लगी जो रोहतासगढ़ की तरफ गई थी।
पाठक स्वयं समझ सकते हैं कि नागर का दिल कितना मजबूत और कठोर था। उन दिनों जो रास्ता काशी से रोहतासगढ़ को जाता था, वह बहुत ही भयानक और खतरनाक था। कहीं-कहीं तो बिल्कुल ही मैदान में जाना पड़ता था और कहीं गहन वन में होकर दरिन्दे जानवरों की दिल दहलाने वाली आवाज़ें सुनते हुए सफर करना पड़ता था। इसके अतिरिक्त उस रास्ते में लुटेरों और डाकुओं का डर तो हरदम बना ही रहता था।
मगर इन सब बातों पर जरा भी ध्यान न देकर नागर ने अकेले ही सफर करना पसन्द किया, इसी से कहना पड़ता है कि वह बहुत ही दिलावर, निडर और संगदिल औरत थी। शायद उसे अपनी ऐयारी का भरोसा या घमण्ड हो क्योंकि ऐयार लोग यमराज से भी नहीं डरते और जिस ऐयार का दिल इतना मजबूत न हो, उसे ऐयार कहना भी न चाहिए।
नागर एक नौजवान मर्द की सूरत बनाकर तेज और मजबूत घोड़े पर सवार तेजी के साथ रोहतासगढ़ की तरफ जा रही थी। उसकी कमर में ऐयारी का बटुआ, खंजर, कटार और एक पथरकला भी था। दोपहर होते-होते उसने लगभग पच्चीस कोस का रास्ता तय किया और उसके बाद एक ऐसे गहन वन में पहुंची जिसके अन्दर सूरज की रोशनी बहुत कम पहुंचती थी, केवल एक पगडंडी सड़क थी जिस पर बहुत सम्हलकर सवारों को सफर करना पड़ता था क्योंकि उसके दोनों तरफ कंटीले दरख्त और झाड़ियां थीं।
इस जंगल के बाहर एक चौड़ी सड़क भी थी, जिस पर गाड़ी और छकड़े वाले जाते थे। मगर घुमाव और चक्कर पड़ने के कारण उस रास्ते को छोड़कर घुड़सवार और पैदल लोग अक्सर इसी जंगल में से होकर जाया करते थे, जिससे इस समय नागर जा रही है, क्योंकि इधर से कई कोस का बचाव पड़ता था।
यकायक नागर का घोड़ा भड़का और रुककर अपने दोनों कान आगे की तरफ करके देखने लगा। नागर शहसवारी का फन बखूबी जानती और अच्छी तरह समझती थी, इसलिए घोड़े के भड़कने और रुकने से उसे किसी तरह का रंज न हुआ बल्कि वह चौकन्नी हो गई और बड़े गौर से चारों तरफ देखने लगी। अचानक सामने की तरफ पगडंडी के बीचोंबीच में बैठे हुए शेर पर उसकी निगाह पड़ी जिसका पिछला भाग नागर की तरफ था अर्थात् मुंह उस तरफ जिधर नागर जा रही थी।
नागर बड़े गौर से शेर को देखने और सोचने लगी कि अब क्या करना चाहिए। अभी उसने कोई राय पक्की नहीं की थी कि दाहिनी बगल की झाड़ी में से एक आदमी निकलकर बढ़ा और फुर्ती के साथ घोड़े के पास आ पहुंचा, जिसे देखते ही वह चौंक पड़ी और घबड़ाहट के मारे बोल उठी, ‘ओफ, मुझे बड़ा भारी धोखा दिया गया!’ साथ ही इसके वह अपना हाथ पथरकले पर ले गई, मगर उस आदमी ने इसे कुछ भी करने न दिया।
उसने नागर का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और एक झटका ऐसा दिया कि वह घोड़े के नीचे आ रही। वह आदमी तुरन्त उसकी छाती पर सवार हो गया और उसके दोनों हाथ कब्जे में कर लिए।
यद्यपि नागर को विश्वास हो गया कि अब उसकी जान किसी तरह नहीं बच सकती तो भी उसने बड़ी दिलेरी से अपने दुश्मन की तरफ देखा और कहा -
नागर - बेशक, उस हरामजादी ने मुझे पूरा धोखा दिया, मगर भूतनाथ, तुम मुझे मारकर ज़रूर पछताओगे। वह कागज जिसके मिलने की उम्मीद में तुम मुझे मार रहे हो, तुम्हारे हाथ कभी न लगेगा क्योंकि मैं उसे अपने साथ नहीं लाई हूं। यदि तुम्हें विश्वास न हो तो मेरी तलाशी ले लो, और बिना वह कागज पाए मेरे या मनोरमा के साथ बुराई करना तुम्हारे हक में ठीक नहीं है इसे तुम अच्छी तरह जानते हो।
भूतनाथ - अब मैं तुझे किसी तरह नहीं छोड़ सकता। मुझे विश्वास है कि वे कागजात, जिनके सबब से मैं तुझ जैसी कमीनों की ताबेदारी करने पर मजबूर हो रहा हूं, इस समय ज़रूर तेरे पास हैं तथा इसमें भी कोई सन्देह नहीं कि कमलिनी ने अपना वादा पूरा किया और कागजों के सहित तुझे मेरे हाथ फंसाया। अब तू मुझे धोखा नहीं दे सकती और न तलाशी लेने की नीयत से मैं तुझे कब्जे से छोड़ ही सकता हूं। तेरा जमीन से उठना मेरे लिए काल हो जायगा क्योंकि फिर तू हाथ नहीं आवेगी।
नागर - (चौंककर और ताज्जुब से) हैं, तो क्या वह कम्बख्त कमलिनी थी, जिसने मुझे धोखा दिया! अफसोस, शिकार घर में आकर निकल गया। खैर, जो तेरे जी में आवे कर, यदि मेरे मारने में ही तेरी भलाई हो तो मार, मगर मेरी एक बात सुन ले।
भूतनाथ - अच्छा कह, क्या कहती है थोड़ी देर तक ठहर जाने में मेरा कोई हर्ज भी नहीं।
नागर - इसमें तो कोई शक नहीं कि अपने कागजात, जिन्हें तेरा जीवन-चरित्र कहना चाहिए, उन्हें लेने के लिए ही तू मुझे मारना चाहता है।
भूतनाथ - बेशक ऐसा ही है। यदि वह मुट्ठा मेरे हाथ का लिखा हुआ न होता तो मुझे उसकी परवाह न होती।
नागर - हां, ठीक है, परन्तु इसमें भी कोई सन्देह नहीं कि मुझे मारकर तू वे कागजात न पावेगा। खैर, जब मैं इस दुनिया से जाती ही हूं तो क्या ज़रूरत है कि तुझे भी बर्बाद करती जाऊं मैं तेरी लिखी चीजें खुशी से तेरे हवाले करती हूं, मेरा दाहिना हाथ छोड़ दे, मैं तुझे बता दूं कि मुझे मारने के बाद वे कागजात तुझे कहां से मिलेंगे।
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