लिली
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Literature & Fiction
महाप्राण सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की कहानियों में जो रचनाकाल का तत्कालीन सामाजिक परिवेश है, उसमें नारी और नारी जीवन की समस्याएं अपने प्राकृत रूप में हैं। निराला की कहानियों में एक दूरदर्शिता है जिसमें वे अपने समय से आगे देखते हैं और इसीलिए उनकी रचनाएं तमाम सामाजिक विद्रूपों, कुसंस्कारों, और अन्य रूढ़ियों पर प्रहार करती हैं। ‘लिली’ भी ऐसी ही महत्त्वपूर्ण रचनाओं का एक संग्रह है।
‘लिली’ शीर्षक कथा में पद्मा और राजेन्द्र के बीच खिल रहे प्रेम और उस प्रेम में सामाजिकता के हस्तक्षेप को दर्शाया गया है। पद्मा के पिता का अंतर्जातीय विवाह के विरोध में खड़े रहना और अपनी अंतिम इच्छा में भी जड़ बने रहना हमारे समाज की रूढ़ियों को एक चेहरा देता हुआ लगता है।
फिर भी प्रेम अपने रास्ते तलाश ही लेता है लेकिन समय की मार सबको झेलनी पड़ती है।
"pallavi pundir"
कहानी का आरंभ बहुत सुंदर है। निराला की कविताओं से तो मुझे बहुत प्रेम है, इस...Read more
"ज्योति मिश्रा"
सुंदर कहानी
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