
दरकते दायरे
          
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              Romance
                            Social
                        
          
        
        नब्बे के दशक में कानपुर के एक छोटे-से मोहल्ले से श्रुति और समीर से शुरू होता यह क़िस्सा, लखनऊ में सुम्बुल से होता हुआ एक ऐसे तिराहे पर पहुँचता है जहाँ से तीन ज़िंदगियाँ कई सवाल और कई ज़ख्म अपने मन पर लेकर अलग-अलग राह चल देती हैं। किशोरवय के प्यार, दोस्ती और कई अनकहे रिश्तों की चुटीली शरारतों से लबरेज़ यह कहानी बढ़ती उम्र और उसके साथ आने वाले बदलावों और लैंगिक बोध को संवेदनशील ढंग से दर्ज़ करती है।
रिश्तों और चाहतों की कश्मकश में बहुत कुछ ऐसा पीछे छूटता जाता है जिस पर किरदारों का कोई ज़ोर नहीं चलता। कुछ फ़ैसले ज़िंदगी का सबक बन जाते हैं और कुछ लोग चाहे-अनचाहे ज़िंदगी में यादों के अलग-अलग रंगों में घुलते चले जाते हैं। चर्चित कथाकार विनीता अस्थाना का यह नया उपन्यास ‘दरकते दायरे’ इन्हीं रिश्तों और दोस्ती के महीन धागों से बुना हुआ है।
            
          








