ये शरीफ़ लोग
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Literature & Fiction
Politics
उन्माद कब भीड़ का रूप ले लेता है हम नहीं जान पाते और हम तब वह नहीं होते जो असल में होते हैं या बनना चाहते हैं। ऐसे ही प्रश्न हमारे जे़हन में तब उठते हैं जब हम 'कजरी' का अंत देखते हैं। हम अक्सर अपने आदर्श रूप को सबके सामने लाते हैं पर क्या हमारे भीतर दो चेहरे नहीं होते? दूसरा चेहरा बाहर लाने से हम अक्सर डरते हैं। लोगों का यही दोहरा चरित्र 'ये शरीफ़ लोग' में झलकता है। वरिष्ठ कथाकार अवधेश प्रीत की यह कथाकृति हमारे सामने के समय की ऐसी ही स्याह सचाइयों से रूबरू कराती है।
"NIRAJ SINGH"
बहुत सुन्दर
"Arkaan Sayed"
liked it it was good
एपिसोड 1
25-10-2021
3 Mins
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एपिसोड 2
25-10-2021
4 Mins
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एपिसोड 3
25-10-2021
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एपिसोड 4
25-10-2021
3 Mins
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एपिसोड 5
25-10-2021
5 Mins
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एपिसोड 6
25-10-2021
4 Mins
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एपिसोड 7
25-10-2021
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एपिसोड 8
25-10-2021
4 Mins
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एपिसोड 9
25-10-2021
5 Mins
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