
मुक्ति
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Literature & Fiction
Women's Fiction
हिंदी साहित्य को बेहद व्यावहारिक और मज़बूत नायिकाएं देने वाली प्रख्यात लेखिका मन्नू भंडारी की कहानी ‘मुक्ति' बीमार पति की तीमारदारी में जी-जान से जुटी एक भारतीय स्त्री की दास्तान है। कभी फ़र्ज़, कभी स्वभाव तो कभी दिनचर्या का हिस्सा समझ कर उसके अथक परिश्रम की न सिर्फ उसके बच्चों, बल्कि उसके पति द्वारा भी उपेक्षा की जाती है।
अंत में पति की मृत्यु के बाद मातमपुरसी करने आए लोगों के बीच थकी-मांदी पत्नी का गहरी नींद में सो जाना पाठक को सोचने पर मजबूर करता है कि मुक्ति आख़िर किसे मिली? ऊपर से बेहद सरल दिखने वाली यह रचना भारतीय स्त्री की सामाजिक भूमिकाओं, पितृसत्तात्मक सोच और दाम्पत्य के दोहरे मानदंडों पर गंभीर सवाल उठाती है।
‘मुक्ति’ को हम मन्नू जी की अनन्य सुधा अरोड़ा के सौजन्य से प्रकाशित कर रहे हैं। यह उनके किसी भी संग्रह में शामिल नहीं है।
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शुरु से लेकर अन्त तक कहानी से बन्ध कर रेह गये। जीवन मे एसी कई औरते है जो जि...Read more
असल मायने में इस कहानी में मुक्ति दो लोगों को मिलती है किन दो लोगों को मिलत...Read more
एपिसोड 1
16-11-2021




एपिसोड 2
16-11-2021




एपिसोड 3
16-11-2021




एपिसोड 4
16-11-2021



